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Showing posts from August, 2020

मुसलमानों के साइंसी कारनामे

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  मुसलमानों के साइंसी कारनामे मुसलमानों के लिए ज्ञान के क्या मायने हैं उसे कुरआन ने अपनी पहली ही आयत में स्पष्ट कर दिया था अतीत में मुसलमानों ने इसी आयत करीमा का पालन करते हुए वह स्थान प्राप्त कर लिया था जिस के बारे में आज कोई विचार नही कर सकता। मुसलमान ज्ञान के हर क्षेत्र में आगे थे चाहे उसका सम्बन्ध धार्मिक ज्ञान से हो या आधुनिक ज्ञान से , धार्मिक ज्ञान में वे  मुफक्किर-ए-इस्लाम  और  वलीउल्लाह  थे तो आधुनिक ज्ञान में उनकी गणना दुनिया के बड़े वैज्ञानिकों में होती थी यही कारण था कि अल्लाह ने धार्मिक और आधुनिक ज्ञान के कारण उन्हें बुलंदियों पर बिठा दिया था। मुसलमानों ने विज्ञान के हर क्षेत्र में  अपनी खिदमतों को अंजाम दिया है और विज्ञान को मजबूती प्रदान की है खुद कुरआन में 1000 आयत ऐसी है जिन का सम्बन्ध वैज्ञानिक संस्था से है , विज्ञान का कोई क्षेत्र ऐसा नही जिसमे मुसलमानों ने अपनी खिदमतों को अंजाम न दिया हो अगर रसायन (Chemistry) का इतिहास उठा कर देखो तो पता चलता है कि हम रसायन शास्त्री (Chemist) थे गणित (Mathematics) का इतिहास उठा कर देखो तो पता चलता है कि ह...

रसायनशास्त्र के सबसे पहले जनक थे जाबिर बिन हियान

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  रसायनशास्त्र के सबसे पहले जनक थे जाबिर बिन हियान Jabir Ibn Hayyan: father of chemistry जाबिर बिन हियान  जिन्हें इतिहास का पहला रसायनशास्त्री कहा जाता है उसे पश्चिमी देश में गेबर (geber) के नाम से जाना जाता है। इन्हें रसायन विज्ञान का संस्थापक माना जाता है , इनका जन्म 733 ईस्वी में तूस में हुई थी , जाबिर बिन हियान ने ही एसिड की खोज की इन्होने एक ऐसा एसिड भी बनाया जिससे सोने को भी पिघलाना मुमकिन था जाबिर बिन हियान पहले व्यक्ति थे जिन्होंने पदार्थ को तीन भागों वनस्पति , पशु और , खनिज में विभाजित किया । इसी मुस्लिम साइंसदान ने रासायनिक यौगिकों  जैसे – कार्बोनेट, आर्सेनिक, सल्फाइड की खोज की नमक के तेजाब, नाइट्रिक एसिड, शोरे के तेजाब, और फास्फोरस से जाबिर बिन हियान ने ही दुनिया को परिचित कराया। जाबिर बिन हियान ने  मोम जामा  और  खिजाब  बनाने का तरीका खोजा और यह भी बताया कि वार्निश के द्वारा लोहे को जंग से बचाया जा सकता है | जाबिर बिन हियान ने 200 से अधिक पुस्तकें रचना में लायीं जिनमें किताब अल रहमा, किताब-उल-तज्मिया, जैबक अल शर्की, किताब-उल-म्वाजीन अल सगीर ...

इंटरनेट के नुकसान पर निबंध

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इंटरनेट के नुकसान पर निबंध न इंटरनेट ने हमारे जीवन के मायने पूरी तरह से बदल दिए हैं। इसने हमारे जीवन के स्तर को ऊँचा कर दिया है और कई कार्यों को बहुत सरल और आसान बना दिया है। हालांकि इसने कई नुकसानों को भी जन्म दिया है। जैसे हर चीज के साथ होता है इंटरनेट का अधिक उपयोग हानिकारक भी हो सकता है। इंटरनेट के साथ कई नुकसान जुड़े हैं। इनमें से कुछ समय का व्यर्थ होना, धोखाधड़ी, स्पैमिंग और हैकिंग शामिल हैं। इंटरनेट के नुकसान पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on Disadvantages of Internet in Hindi) निबंध 1 प्रस्तावना इंटरनेट कई फायदे प्रदान करता है लेकिन इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले नुकसानों की संख्या भी कम नहीं है। इंटरनेट के मुख्य नुकसान में से एक यह है कि यह विशेष रूप से छात्रों का ध्यान भटकाता  है। इंटरनेट से छात्रों का ध्यान भटकता है इंटरनेट सूचना का एक विशाल स्रोत माना जाता है और इस तरह से यह छात्रों के लिए एक वरदान साबित हुआ है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी भी विषय या पाठ से संबंधित सारी जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है। इसलिए यदि कोई छात्र किसी लेक्चर में उपस्थित नहीं होता या ...

विज्ञान और तकनीकी पर निबंध

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  विज्ञान और तकनीकी पर निबंध निबंध JANUARY 13, 2017 इस आधुनिक दुनिया में एक देश के लिए दूसरे देशों से मजबूत, ताकतवर और अच्छी तरह से विकसित होने के लिए विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में नए आविष्कार करना बहुत आवश्यक है। इस प्रतियोगी समाज में, हमें आगे बढ़ने और जीवन में सफल व्यक्ति बनने के लिए अधिक तकनीकों की जरूरत है। आज मनुष्य ने विज्ञान और तकनीकी में बहुत विकास कर लिया है। अब तकनीकी के बिना रह पाना नामुमकिन हो गया है। इसने हमारे जीवन को सरल, आसान और सुविधाजनक बना दिया है। विज्ञान और तकनीकी पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Science and Technology in Hindi) निबंध 1 (300 शब्द) प्रस्तावना जैसा कि हम सभी जानते हैं कि, हम विज्ञान और तकनीकी के समय में रह रहे हैं। हम सभी का जीवन वैज्ञानिक आविष्कारों और आधुनिक समय की तकनीकों पर बहुत अधिक निर्भर है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने लोगों के जीवन को बड़े स्तर पर प्रभावित किया है। इसने जीवन को आसान, सरल और तेज बना दिया है। नए युग में, विज्ञान के विकास ने हमें बैलगाड़ी की सवारी से हवाई यात्रा की सुविधा तक पहुंचा दिया है। आधुनिक तकनीकी वि...

आत्मा का वज़न' 21 ग्राम बताने वाला प्रयोग किसने और कैसे किया था

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  आत्मा का वज़न' 21 ग्राम बताने वाला प्रयोग किसने और कैसे किया था इमेज कॉपीरइट प्राचीन मिस्र के लोगों का मानना था कि मरने के बाद इंसान एक लंबे सफ़र पर निकल पड़ता है. ये सफ़र बेहद मुश्किल होता है जिसमें वो सूर्य देवता (जिन्हें मिस्र के लोग रा कहते हैं) की नाव पर सवार होकर 'हॉल ऑफ़ डबल ट्रूथ' तक पहुंचता है. किंवदंतियों के मुताबिक़, सच्चाई का पता लगाने वाले इस हॉल में आत्मा का लेखा-जोखा देखा जाता है और उसका फ़ैसला होता है. यहां सच और न्याय की देवी की कलम के वज़न की तुलना इंसान के दिल के वज़न से की जाती है. प्राचीन मिस्र के लोगों का मानना था कि इंसान के सभी भले और बुरे कर्मों का हिसाब उसके दिल पर लिखा जाता है. अगर इंसान ने सादा और निष्कपट जीवन बिताया है तो उसकी आत्मा का वज़न पंख की तरह कम होगा और उसे ओसिरिस के स्वर्ग में हमेशा के लिए जगह मिल जाएगी. मिस्र की इस प्राचीन मान्यता की एक झलक 1907 में 'जर्नल ऑफ़ द अमरीकन सोसाइटी फ़ॉर साइकिक रीसर्च' में छपे एक शोध में मिली. 'हाइपोथेसिस ऑन द सबस्टेन्स ऑफ़ द सोल अलॉन्ग विद एक्सपेरिमेन्टल एविडेन्स फ़ॉर द एग्ज़िस्टेंस ऑफ़ सैड स...