'ईदगाह' कहानी एक ऐसी कहानी है, जिसे शायद सभी ने पढ़ा होगा.
'ईदगाह' कहानी एक ऐसी कहानी है, जिसे शायद सभी ने पढ़ा होगा. इस कहानी का पात्र है एक छोटा बच्चा, हामिद जो अन्य हम उम्र साथियों की तरह खेल खिलौनों और गुड्डे-गुड़ियों के लालच में नहीं पड़ता और अपनी दादी के लिए मेले से एक चिमटा खरीद कर लाता है. मगर चिमटा ही क्यों ? वो इसलिए क्योंकि रोटियां सेकते वक़्त उसकी दादी के हाथ जल जाते थे. इस छोटी सी कहानी में लेखक प्रेमचंद ने हामिद से बड़ी-बड़ी बातें कहलवा दीं. वो बातें जो ना सिर्फ पाठक के दिल को छू जातीं हैं, बल्कि पाठक उन्हें आत्मसात भी कर लेता है. ये तो सिर्फ एक उदाहरण भर है, प्रेमचंद इंसान के मनोविज्ञान को समझने वाले रचनाकार थे. सुनिए: प्रेमचंद पर विवेचना यथार्थ का चित्रण इमेज कॉपीरइट REUTERS आज़ादी के पहले भारत की हक़ीक़त का जैसा चित्रण प्रेमचंद ने किया वैसा किसी अन्य लेखक के साहित्य में नहीं मिलता. प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को बनारस से चार मील दूर लमही ग्राम में हुआ था. पिता का नाम अजायब राय था और वो डाकखाने में मामूली नौकरी करते थे. प्रेमचंद के बचपन का नाम था धनपतराय. धनपत राय जब सिर्फ 15 साल के थे तो उनके पिता अजायब राय ने...